नैनीताल/ उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने बर्ड सेंचुरी के नाम से फेमस नैनीताल के पंगूट क्षेत्र में बुढ पंगूट के लोगों का ब्रिटिशकालीन रास्ता वन विभाग द्वारा बंद करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में सरकार से जवाब पेश करने को कहा है साथ में न्यायालय ने डी.एफ.ओ.से रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए तय हुई है।
मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ के सम्मुख डीएफओ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने अवगत कराया कि गाँववासियों का रास्ता खोल दिया गया है जिसपर न्यायालय ने इसकी रिपोर्ट मांग ली। शुक्रवार को न्यायालय ने डीएफओ से गाँव वासियों का रास्ता खोलने को कहा था।
मामले के मुताबिक बुढ पंगूट निवासी भावना और प्रेमलता बुधलाकोटी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि वन विभाग ने बर्ड सेंचरी के नाम पर उनका ब्रिटिश कालीन आम रास्ता बंद कर दिया है जबकि यह एक आम रास्ता है और यह बर्ड सेंचुरी बाद में घोषित हुई है।
जनहित याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि वन विभाग ने एक बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए यह निर्णय लिया है। बिल्डर ने वन विभाग की भूमि पर अवैध रोड का निर्माण तक कर लिया है। पूर्व में भी विभाग ने इसी तरह का निर्णय लेकर एक अन्य गाव का रास्ता बंद कर दिया था जिसको न्यायालय ने खोलने के आदेश दिए थे।
याचिका में आगे कहा गया कि उनके वहां कई तरह के मरीज हैं लेकिन रास्ता बंद होने के कारण वे लोग उपचार कराने के लिए गाव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। इसलिए इस प्रतिबंध को हटाया जाय। इसके जवाब में सम्बंधित डीएफओ. ने न्यायालय में उपस्थित होकर विभाग का पक्ष रखते हुए बताया कि रास्ता एन.जी.टी. के आदेश पर बंद किया गया है।
इसका विरोध करते हुए ग्राम वासियों की तरफ से कहा गया कि वे प्रकृति प्रेमी है। इसलिए वे अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल नहीं छोड़ते हैं। क्योंकि यह एक आरक्षित वन
क्षेत्र घोषित है। उसकी रक्षा करना उनकी जिमेदारी है।
जब आग लगती है तो ग्राम वासी ही फर्स्ट फायर मैन की तरह कार्य करते हैं। अधिकारी तो आग लगने के बाद उसकी जानकारी लेने आते हैं। अब उनका ही रास्ता बंद कर दिया है तो ग्रामीण कहा जाएं।