


NEWS 13 प्रतिनिधि देहरादून:-
उत्तराखंड में पलाइन शुरू से ही एक गम्भीर समस्या रही है हालांकि हर सरकार ने पलायन को रोकने को लेकर खुब हवाई दावे किये है। लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है। उत्तराखंड सरकार जो काम करोड़ों रुपए खर्च कर नहीं करा पाई उसे कोरोना महामारी ने पूरा कर दिया। बीते एक माह में उत्तराखंड में 1 लाख से अधिक प्रवासी वापस आए हैं। जिनमें सबसे बड़ा आंकड़ा लौटने वालों का अल्मोड़ा का है और सबसे कम उत्तरकाशी जनपद में लौटे हैं।
कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर की खबरों से लोग भयभीत है। जिस से प्रवासी उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे हैं। कोरोना के आंकड़ों के अनुसार अब धीरे धीरे उत्तराखंड में स्थिति पहले से सुधर रही है। स्मार्ट सिटी पोर्टल की ओर से सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार 21 अप्रैल से 22 मई तक राज्य के अलग-अलग जिलों में कुल 1,00,667 प्रवासियों ने उत्तराखंड वापसी के लिए अपना पंजीकरण कराया है। और साथ ही प्रवासियों का लौटने का सिलसिला भी जारी है।
अल्मोड़ा में 31,218
बागेश्वर 2956
चमोली 2658
चंपावत 3097
देहरादून 7229
हरिद्वार 4307
नैनीताल 8240
पौड़ी 22,196
पिथौरागढ़ 3649
रुद्रप्रयाग 1934
टिहरी 6888
ऊधमसिंह नगर 5434 और उत्तरकाशी में 861 प्रवासी वापिस लौटे हैं।
इस समय उत्तराखंड वापिस लौटने के लिए स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है जिसके बाद ही व्यक्ति को राज्य की सीमा में प्रवेश दिया जा रहा है। तेजी से वापस लौट रहे प्रवासियों के लिए अब रोजगार उपलब्ध कराने तथा प्रवासियों को रोके रखना उत्तराखंड सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।






