इस महीने में हो सकते हैं केदारनाथ उपचुनाव, दो उपचुनाव हारने के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता उतरे प्रतिष्ठा बचाने मैदान में।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग/ केदारनाथ उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है खासकर बदरीनाथ और
मंगलौर उपचुनाव में मिली हार के बाद केदारनाथ उपचुनाव जनवरी 2025 से पहले होने की सम्भावना
है ठंड और बर्फबारी के को देखते हुए निर्वाचन आयोग नवंबर या दिसंबर में मतदान की तारीख तय कर
सकता है।

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बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीटों पर कांग्रेस से मिली हार के बाद बीजेपी ने केदारनाथ उपचुनाव के लिए एक नई चुनावी रणनीति तैयार की है। पार्टी ने अपने मंत्रियों को सक्रियता से मैदान में उतार दिया है। केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा तीन दिनों तक विधानसभा क्षेत्र के व्यापारियों की समस्याओं को सुनने का कार्य करेंगे। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और रेखा आर्या जनता दरबार लगाकर आम लोगों की समस्याओं को सुन रहे हैं। अक्टूबर से पहले तीन कैबिनेट मंत्री भी केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे। केदारनाथ उपचुनाव जनवरी 2025 से पहले आयोजित होने हैं परन्तु उस वक्त की भीषण ठंड और बर्फबारी को देखते हुए निर्वाचन आयोग नवंबर या दिसंबर में मतदान की तारीख घोषित कर सकता है।

अपनी प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश में बीजेपी के केंद्रीय मंत्री भी मैदान में

हाल ही में बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनावों में भाजपा को मिली हार ने पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का मामला बना दिया है। इसीलिए भाजपा ने अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के नाम को देखते हुए भाजपा इस सीट को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प ले चुकी है।

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर पार्टी में कई दावेदार मौजूद हैं जिनमें पूर्व विधायक और महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल, कुलदीप रावत, ऐश्वर्या रावत और दिनेश उनियाल प्रमुख हैं। बीते शुक्रवार को केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर निकल चुके हैं। भाजपा की नई रणनीति के तहत कैबिनेट मंत्रियों की सक्रिय भागीदारी भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और सौरभ बहुगुणा भी क्षेत्र का दौरा करेंगे। इस बार विधानसभा क्षेत्र के पांचों मंडलों में कैबिनेट मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।

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अब देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी की यह रणनीति सफल होने की कितनी संभावना है। केदारघाटी के लोगों को किस तरह भाजपा के प्रयासों और वादों पर भरोसा होता है खासकर हाल की हार के बाद। पार्टी को अपनी योजनाओं और कार्यों के प्रति जनता का समर्थन जीतना होगा ताकि आगामी चुनाव नाव में वे अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।

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