न्यूज़ 13 प्रतिनिधि पौड़ी
पौड़ी/ बीते दिनों वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक के पदों पर होने वाली भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर पहले एस सी/एस टी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कर्म राम ने मोर्चा खोला था कि वानिकी विश्वविद्यालय में अपने लोगों को लाभ दिलाने के रोस्टर को ही बदल दिया गया।
उसके बाद उद्यान घोटाले में करोड़ो की जांच करवाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने भर्ती घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री,मंत्री सहित शासन के अधिकारियों को ज्ञापन देकर भर्ती घोटाले की जांच की मांग की।
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आज पौड़ी,चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, देहरादून आदि ज़िलों से पर्वतीय कृषक कृषि बागवान उद्यमी संगठन की पैठानी में एक अहम बैठक का आयोजन भरसार भर्ती घोटाले की जांच को लेकर की गई। बैठक में दीपक करगेती ने बताया है कि औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में कुलपति एवं कुछ अन्य आला-अधिकारी द्वारा अपने चहेतों को प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक के पदों पर नियुक्तियों देने के लिए 2019 की भर्ती प्रक्रिया का संपूर्ण रोस्टर सभी नियमों को ताक पर रखकर उनके हिसाब से बनाया जिन्हें इनको भर्ती करना था।
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दीपक ने बताया कि हॉर्टिकल्चर की पोस्ट पर जिस व्यक्ती का चयन हुआ ,उनकी पत्नी पहले भर्ती प्रक्रिया की जांच को गलत बताते हुए पहले मा उच्च न्यायालय में याचिका दायर करती हैं,बाद में ऐसी परिस्थिती उत्पन्न होती है कि वह महिला याचिका वापस लेती है,और उसके आदमी का इस पोस्ट के लिए चयन कर दिया जाता है।यही नहीं दीपक ने सभी को बताया कि कई प्रोफेसर ऐसे हैं जो पहले से विश्वविद्यालय में कार्यरत थे उनकी ही पत्नियों का चयन हुआ है। पूर्व में कई अभ्यर्थियों ने भी इसकी शिकायत की लेकिन किसी के कान में जू तक नहीं रेंगी।
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संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बीरबान सिंह रावत ने बताया कि विश्वविद्यालय में वर्तमान में शैक्षणिक पदों पर जो भर्तियां चल रही हैं उसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू0जी0सी0 रेगुलेशन 2018) एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिसद् (आई0सी0ए0आर0) के तय मानकों को भी ध्यान में नही रखा गया, क्योंकि गैर शैक्षणिक पदों के आवेदकों को सह प्राध्यापक के पद पर बुलाया गया था।
यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार साक्षात्कार हेतु बनाई जाने वाली कमेटी में सम्बंधित महाविद्यालय के अधिष्ठाता और सम्बंधित विभाग के विभागाध्यक्ष को रखा जाना चाहिए था, किन्तु विश्वविद्यालय द्वारा ऐसा नही किया।
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भर्ती को लेकर दीपक ढौंढियाल और विजय पाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विगत एक वर्ष में सम्पन्न कराई गई शैक्षणिक परिषद एवं प्रबन्ध परिषद की बैठकों में मनचाहे निर्णय लिए गए हैं जबकि महत्वपूर्ण बैठकों के सम्बंध में महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति महोदय के स्पस्ट निर्देश हैं की पारदर्शिता हेतु संबंधित सभी बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग करके रखी जाए। किन्तु विश्वविद्यालय द्वारा ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं की जा रही है अपितु मनचाहे मिनट्स निकाले जा रहे हैं