उधमसिंह नगर/ जिले के पंतनगर में वन भूमि के साथ ही गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय और लोक निर्माण विभाग की भूमि पर व्यापक पैमाने पर हुए अतिक्रमण के मामले में उच्च न्यायालय ने बुधवार को बेहद सख्त रूख अख्तियार करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) को अदालत में तलब किया है साथ ही प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को जांच करने के निर्देश दिये हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में अमित पांडे की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई।
ऊधम सिंह नगर के जिलाधिकारी अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिये उन्होंने तैयारी कर ली है। आगामी 20 अक्टूबर से अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा। कुछ अतिक्रमणकारियों को पीपीपी एक्ट के तहत नोटिस जारी किया गया है जबकि कुछ को हटा लिया गया है। डीएफओ अदालत में पेश नहीं हुए। अदालत के संज्ञान में लाया गया कि वन भूमि पर काबिज कुछ अतिक्रमणकारियों की अपील लंबित है जबकि 15 अतिक्रमणकारियों को डीएफओ की ओर से भूमि खाली करने के लिये 15 दिन का वक्त दिया गया है। अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि समयसीमा खत्म होने के बावजूद अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही है। अदालत ने साफ साफ कहा कि प्रशासन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करना चाहता है।
अदालत ने पीसीसीएफ को डीएफओ की भूमिका की जांच करने को भी कहा है। साथ ही अदालत ने डीएफ को भी वर्ष 2021 में जारी आदेश की अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से एक प्रार्थना पत्र दायर कर कहा गया कि उच्च न्यायालय ने 27 अक्टूबर 2021 को एक आदेश जारी कर ऊधम सिंह नगर प्रशासन को अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे परन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इस मामले में अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।