हल्द्वानी/ उत्तराखंड सतर्कता विभाग द्वारा दर्ज एक भ्रष्टाचार के मामले में लोक निर्माण विभाग (विद्युत/यांत्रिक) के तत्कालीन अपर सहायक अभियंता अमित गिरी को विशेष न्यायालय ने दोषी मानते हुए पांच साल के कठोर कारावास और दो लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। शिकायतकर्ता धीरेन्द्र सिंह ने 5 फरवरी 2018 को सतर्कता विभाग को एक लिखित शिकायत दी थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि अमित गिरी ने उनके कार्य की माप पुस्तिका (एम.बी.) बनाने के लिए 8,500 रुपये की रिश्वत की मांग की थी। मामले की जांच के बाद 9 फरवरी 2018 को सतर्कता विभाग की ट्रैप टीम ने अमित गिरी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण) नीलम रात्रा की अदालत ने अभियोजन पक्ष के तर्कों और गवाहों के बयानों के आधार पर अमित गिरी
को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13 (1) (डी) सपठित धारा 13 (2) के तहत दोषी मानते हुए 1,00,000 रुपये का अर्थदंड (प्रत्येक धारा के तहत) भुगतान न करने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावासकी सजा सुनाई। सतर्कता विभाग के पुलिस उपाधीक्षक अनिल सिंह मनराल ने आम जनता से भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे आने और किसी भी संदिग्ध मामले की शिकायत टोल-फ्री नंबर 1064 पर करने की अपील की है।