पॉलीहाउस की तुलना में बाहर सब्जी उत्पादन करने से किसानों को हो रहा है भारी नुकसान : सब्जी वैज्ञानिक, 90 फ़ीसदी छूट में आम लोगों को मिलेंगे पॉलीहाउस, मल्चिंग पद्धति को दिया जा रहा है बढ़ावा- डीएचओ।
पॉलीहाउस की तुलना में बाहर सब्जी उत्पादन करने से किसानों को हो रहा है भारी नुकसान : सब्जी वैज्ञानिक, 90 फ़ीसदी छूट में आम लोगों को मिलेंगे पॉलीहाउस, मल्चिंग पद्धति को दिया जा रहा है बढ़ावा- डीएचओ।
लोहाघाट/ कृषि विज्ञान केंद्र में टमाटर की नई प्रजाति नवीन २०००+ का परीक्षण सफल रहा है। बेल प्रजाति का यह टमाटर पूरी तरह रोग रहित एवं कीट रहित है। जिसमें एक बेल से कम से कम दो से ढ़ाई किलो टमाटर पैदा किया जा सकता है। अप्रैल से नवंबर माह तक इसका उत्पादन होता है। लगातार हो रही वर्षा के कारण पोलीहाउस के बाहर सब्जियों में तमाम रोग पैदा होने के साथ किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि विज्ञान केंद्र की सब्जी वैज्ञानिक डा. रश्मि पंत का कहना है कि अब किसानों को सब्जी उत्पादन का परंपरागत ट्रेंड बदलकर संरक्षित खेती यानी पालीहाउस, पाली मल्चिंग, पोली टनल आदि पद्धतियां अपनानी होंगी। मल्चिंग से सब्जी पैदा करने पर बरसात में पौधों की जड़ों में पानी इकट्ठा नहीं हो पाता है, जिससे उत्पादन प्रभावित नहीं होता है। डा. पंत का मानना है कि वर्षा की अधिकता के कारण खुले में पैदा की जाने वाली सब्जियां अनेक रोगों की चपेट में आने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इधर डीएचओ टी एन पांडे का कहना है कि अब चंपावत जिले में बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए पूरी तरह पॉलिकल्चर अपनाने की ओर विभाग ने कदम बढ़ाए दिए हैं। पहली बार जिले के किसानों को 90 फ़ीसदी सब्सिडी पर पोलीहाउस उपलब्ध किए जा रहे हैं। इसी के साथ पॉलीमल्चिंग से शत-प्रतिशत सब्जी उत्पादन कराने के भी प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कर्णकारायत के प्रगतिशील किसान रघुबर मुरारी सहित कई ऐसे किसान हैं जो शत प्रतिशत मल्चिंग में सब्जी पैदा कर रहे हैं । बीएचओ के अनुसार अब नए पॉलीहाउस में ड्रिप इरिगेशन की भी सुविधा दी जाएगी। इससे उत्पादन में काफी वृद्धि होगी। बीएचओ का मानना है कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग के बल पर विभाग ऐसी योजना बना रहा है, जिससे वबेमौसमी जैविक सब्जियों का व्यापक उत्पादन कर चंपावत जिले को ऐसा केंद्र बनाया जाएगा, जिससे यहां की सब्जियां महानगरों के लोगों का स्वाद बदल सकें। इससे उत्पादकों को काफी लाभ मिलेगा।