लोहाघाट/ लंपी वायरस के कारण लधिया घाटी क्षेत्र में दर्जनों पशु मर चुके हैं। घाटी क्षेत्र में इस महामारी को रोकने के लिए कोई बंदोबस्त भी नहीं है। ग्राम प्रधान खीमानंद बिनवाल के अनुसार इस बीच अकेले बिनवाल गांव में रमेश चंद्र, रेबाधर खोलिया, सुरेश चंद्र, लीलाधर, के एल बिनवाल, नंदकिशोर, भुवन परगाई आदि के पशु वायरल की चपेट में आ चुके हैं। यहां लोग दूध बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। ग्राम प्रधान के अनुसार दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण यहां नजदीक में न तो कोई पशु अस्पताल है
और न ही कोई पशु अस्पताल के लोग ही रहते हैं। ग्राम प्रधान ने लोगों को हुए नुकसान की सरकार से भरपाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि लोगों की आजीविका का साधन ही समाप्त हो गया है। नेपाल के सीमावर्ती मझपीपल क्षेत्र में भी पशुओं की मौत का क्रम लगातार जारी है। सामाजिक कार्यकर्ता पुष्कर सिंह बोहरा के अनुसार यहां वायरस के कारण पशुओं के थनों में मवाद भरा हुआ है। कुछ लोग गाय की ऐसी हालत में भी दूध न