


NEWS 13 प्रतिनिधि रुद्रप्रयाग:-
जब भी किसी पर अत्याचार होता है, किसी तरह की मुसीबत आती है, तो वह पुलिस स्टेशन की ओर दौड़ता है। यह मानव व्यवहार है कि पांच मिनट पहले जिस पुलिस को भला बुरा कह रहे है, अगले ही पल वे रक्षक नज़र आते हैं। सच तो यह है कि भारतीय व्यवस्था की जान हैं, पुलिस विभाग।
जब भी कहीं कठिन समय आया, पुलिस विभाग ने अपनी नींद और चैन खोकर जनता की रक्षा की। इन दिनों उत्तराखंड में पुलिस कर्मचारी और अधिकारी लोगों के लिए देवदूत का काम कर रहे हैं। न इनके दिन का ठिकाना है, न रात का पता… नहाना, धोना, खाना-पीना तक मुहाल है।
कोरोना वायरस के चलते ये अपने परिवारों से भी दूरी बनाए हुए हैं। इनके पास अभी है तो सिर्फ काम… काम और बस काम… काम भी इतना है कि काम के घंटे की बात करना बेमानी हो जाता है। अस्पताल पहुंचाना हो तो पुलिस… खाना खिलाना हो तो पुलिस… कहीं कोई फंस गया है तो पुलिस, हर काम के लिए पुलिस ही बुलाई जा रही है। जब हमारे परिवार के लोग हमें घरों से निकलने नहीं दे रहे हैं, ऐसे में वे अपने दिन-रात घरों से बाहर बिता रहे हैं।
बता दें कि जहां आजकल पुलिस विभाग बाहरी राज्यों से काम के लिए आए मजदूरों, गरीबों और जरूरतमंदों में राशन और खाने पीने का सामान वितरित कर रही है तो वहीं इसके साथ ही पुलिस विभाग के कई कांस्टेबल भी अपने निजी खर्चे पर लोगों को राशन वितरित कर रहे हैं।
ऐसे ही गुप्तकाशी थाने में एचपीयू में तैनात कांस्टेबल 61 ap अंकित कुमार द्वारा 112 की सूचना पर जाकर श्रीमती संतोषी देवी पत्नी सुरेश लाल ग्राम फेगु को राशन व अन्य आवश्यक सामग्री वितरण किया गया 112 कि सूचना पर बताया गया था कि उक्त महिला के पास कोरोना के चलते रोजगार का कोई साधन नहीं है साथ ही गरीब और असहाय भी है जिसके बाद कांस्टेबल अंकित कुमार राशन लेकर उनके घर गए।
इस अवसर पर पुलिस अधिकारियों का कहना था कि लॉकडाउन में लोगों को भूखे न सोना पड़े और बाहर न निकलना पड़े, इसलिए पुलिस विभाग अपने अपने स्तर पर लोगो की मदद कर रहे है। पुलिस से सहायता पाकर लोगों ने कहा कि इस कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान पुलिस और कई सामाजिक संगठनों की तरफ से हर प्रकार की सहायता की जा रही है। जिसके लिए वो सबका धन्यवाद ज्ञापित करना चाहते है।








