चम्पावत, पर्वतीय क्षेत्रों में पांच हजार की आबादी पर खुले अस्पताल, देहरादून में आयोजित हो रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य चिंतन को लेकर भेजा पत्र।

न्यूज़ 13 प्रतिनिधि पुष्कर सिंह बोहरा चम्पावत

चंपावत/  उत्तराखंड राज्य के दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोगों को इन दिनों स्वास्थ्य सेवा को लेकर नई आशा की किरण जगी है। इसका मुख्य कारण उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 14 से 16 जुलाई तक आयोजित होने वाला राष्ट्रीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. मनसुख मांडविया के नेतृत्व और मार्गदर्शन में आयोजित हो रहे इस स्वास्थ्य चिंतन शिविर में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, ओएसडी हैल्थ सुधांशु पंत, केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशक डा. अतुल गोयल सहित देश के अनेक राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री और सचिव हिस्सा लेकर देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए चिंतन मनन करने जा रहे हैं। इस चिंतन शिविर से उत्तराखंड वासियों को आशा है कि सरकार उत्तराखंड की विषम भौगौलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर राज्य की जरूरत के हिसाब से मानकों में कुछ छूट देने पर विचार करेगी।

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इस संबंध में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के नगरमंडल सचिव चंपावत जगदीश चंद्र कलौनी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की हर पांच हजार की आबादी पर एक एलोपैथिक डिस्पेंसरी खोलकर उसमें एक डॉक्टर और एक फार्मेसिस्ट को तैनात करने की मांग की है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के आईपीएचएस मानकों में प्रत्येक बीस हजार की आबादी पर एक अस्पताल खोलने का मानक रखा गया है, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में बीस हजार की आबादी 50 किमी के दायरे में भी पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग सर्दी, जुकाम, बुखार आदि सामान्य रोगों का इलाज भी नहीं करवा पाते है।

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उनका कहना है कि देश की मोदी सरकार आम जनता के बुनियादी दर्द को समझने वाली सरकार है। इसलिए विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में सरकार द्वारा स्वास्थ्य चिंतन शिविर रखा गया है। अपने पत्र में उन्होंने राज्य के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के उपकेंद्रों हेतु सृजित फार्मेसिस्ट के पदों को यथावत रखने, उन उपकेंद्रों का उच्चीकरण कर उनके एक चिकित्सक के पद का सृजन करने, प्रत्येक हेल्थ वेलनेस सेंटर उपकेंद्र में दवाई के कार्य के लिए फार्मेसिस्ट के पद का प्रावधान करने, उपकेंद्रों में फार्मेसिस्ट के पद समाप्त न करने, आईपीएचएस मानकों में छूट देकर इमरजेंसी आदि कार्यों हेतु अधिक फार्मेसिस्ट और चिकित्सकों के पदों का सृजन करने की मांग की है।

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उन्होंने प्रत्येक पांच हजार की आबादी और प्रत्येक पांच किमी के दायरे में एक छोटा अस्पताल खोलकर एक डाक्टर और एक फार्मेसिस्ट की सेवाएं जनता को प्रदान करने की मांग की है।

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