उत्तरकाशी/ जनपद के मोरी विकास खंड के खरसाड़ी माती गांव में जल संस्थान की लापरवाही सामने आई है। जल जीवन मिशन के तहत गांव में पानी की आपूर्ति के लिए दूसरा चरण पूरा नहीं हुआ न ही टैंक बने और न ही पाइपलाइन बिछी फिर भी ग्रामीणों को पानी के बिल थमा दिए गए हैं। इससे गांव में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ को स्थानीय विभागीय अधिकारियों की लापरवाही ने मजाक बना दिया है।
बिना पानी के कनेक्शन चालू किए ही बिल भेजे जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हर घर नल से जल का सपना अब हर घर खाली नल में तब्दील हो गया है।
वन विभाग की अनुमति के बिना बिछी पाइपलाइन अधर में लटका काम
सूत्रों के मुताबिक योजना के दूसरे चरण में लगभग 63 लाख रुपये की लागत से 8.4 किलोमीटर नई पेयजल लाइन और टैंक निर्माण का कार्य प्रस्तावित था परन्तु पेयजल लाइन वन विभाग की स्वीकृति (एनओसी) के बिना बिछाई गई जिस कारण काम बीच में रुक गया।
विभाग द्वारा 15 लाख रुपये का भुगतान भी ठेकेदार को कर दिया गया है जबकि पानी अब तक ग्रामीणों तक नहीं पहुंचा।
अधूरी योजनाएं बनी ग्रामीणों के लिए सिरदर्द
ग्रामीणों ने बताया कि विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत से बिना पानी दिए ही लाखों रुपये खर्च कर दिए गए। खरसाड़ी माती गांव के अजय पाल सिंह, राजेंद्र सिंह चौहान, संदीप चौहान और जगत सिंह चौहान ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही पानी की आपूर्ति बहाल नहीं हुई और भेजे गए बिल रद्द नहीं किए गए तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
अधिकारियों के बयानों में भी नहीं है सामंजस्य
खरसाड़ी पेयजल योजना के पहले चरण पर भी अधिकारियों के बयान मेल नहीं खाते। सहायक अभियंता देवराज सिंह तोमर के मुताबिक प्रथम चरण में 12 लाख रुपये की लागत से 3 किलोमीटर लाइन बिछाई गई और 78 परिवारों को कनेक्शन दिए गए।
दूसरी ओर कनिष्ठ अभियंता कुलदीप बिजल्वाण ने दावा किया कि प्रथम चरण में 24 लाख रुपये से अधिक का काम हुआ जिसमें 115 कनेक्शन जोड़े गए थे।
विभागीय गलती से भेजे गए बिल जल संस्थान
इस पूरे मामले पर जल संस्थान पुरोला के प्रभारी ईई देवराज तोमर का कहना है विभागीय गलती के चलते पानी के बिल भेजे गए थे। जल्द ही सुधार कर दिया जाएगा। फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने के बाद सेकेंड फेज का कार्य पूरा कर ग्रामीणों को पानी की सुविधा दी जाएगी।